1857 की क्रांति || BY Khan Sir Education Point


1857 की क्रांति


1857 की क्रांति :- इस क्रति के पृष्ठ भूमि बहुत पहले से ही तैयार हो रही थी। भारतीय जनता धीरे-धीरे अंग्रेजों के खिलाफ होते जा रही थी जिसके कई कारण थे 


आर्थिक कारण :- अंग्रेजों ने जमिंदारी व्यवस्थ, महालवारी, रैयतवाड़ी, स्थाई बंदोवस्त इत्यादि द्वारा भारतीय किसानों का अत्यधिक शोषण किया जिस कारण भारतीय किसान गरीब हो गए। वे इसका कारण अंग्रेजों को मानते थे। 


सामाजिक कारण :- अंग्रेजों ने सती प्रथा, नरबली, बाल विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया तथा विधवा पुर्नविवाह लागु करा दिया, जिस कारण भारतीय समाज में एक क्रांति की भवना आने लगी।


प्रशासनिक कारण :- लार्ड डलहौजी ने हड़प निति के तहत सतारा, अवध, झांसी, कानपुर, इलाहाबाद, जगदिशपुर, सिक्किम इत्यादि पर अधिकार कर लिया। इसने नाना साहब का पेंशन बंद कर दिया। जिस कारण ये सभी राजा विरोधि हो गए।


धार्मिक कारण :- अंग्रेज ईसाई धर्म का अत्यधिक प्रचार करते थे। जिस कारण भारतीय समाज विरोधि हो गया। 


तकनीकि कारण :- रेल, डाक तथा प्रेस के प्रारंभ होने से विद्रोह की भावना तथा संदेश तेजी से फैलने लगा। 


सैनिक कारण :- भारतीय सैनिकों को दाढ़ी, मुछ, पगड़ी तथा बाला पहनने पर रोक लगा दिया गया जिस कारण सैनिक खिलाफ हो गए।

तत्कालिक कारण :- अंग्रेजों ने Base field rifle के स्थान पर Infield राइफल को लाया । तभी यह अफवाह उड़ गई कि हिन्दुओं को दी जाने वाली राइफल के कारतुस पर गाय की चर्बी तथा मुसलमानों को दिजाने वाले राइफल के कारतुस पर सुअर की चर्बी लगी है तथा अंग्रेजों के द्वारा दिए जानेवाले आटे में गाय और सुअर के हड्डी का पाउडर मिला है। जिस कारण सैनिकों में मतभेद हो गया। 


* बंगाल के बैरखपुर छावनी के 34 Native Infantry के जवान मंगल पाण्डेय ने इन कारतुसों के प्रयोग को मना कर दिया। उसके अधिकारियों ने जब दबाव बनाया तो उसने लेफ्टिनेंट बाज तथा लेफ्टिनेंट ह्युज को गोली मार दी। इस कारण मंगल पाण्डे को 8 अप्रैल, 1857 को बैरकपुर छावनी में फाँसी दे दी गई। मंगल पाण्डेय U.P. के बलिया का रहने वाला था। इस घटना के कारण सारे सैनिकों के अंदर विद्रोह की भावना आ गई। 


* सैनिकों ने 30 मई, 1857 को विद्रोह का दिन निर्धारित किया और इसके लिए रोटी तथा कमल के फुल द्वारा संदेश फैलाया गया। 


* मेरठ के 20 NI के जवानों ने 10 मई, 1857 को ही विद्रोह कर दिया। 


* ये विद्रोही पूरे छावनी के हथीआरों को लुटकर 11 मई को दिल्ली पहुंच गए। विद्रोहियों ने दिल्ली पहुंचकर दिल्ली की छावनी को जीत लिया और बहादुरशाह जफर को विद्रोह का नेता जबरदस्ती घोषित कर दिया गया। 


* 4 जून, 1857 को बेगम जहरत महल ने लखनऊ से विद्रोह कर दिया। 


* 5 जून, 1857 को नानासाहब तथा तात्याटोपे ने कानपुर से विद्रोह कर दिया। तात्याटोपे का मुल नाम राम चंद्र पांडु रंग था। ये झांसी के रानी के गुरु थे।


* झांसी से विद्रोह मनु बाई (झांसी की रानी) ने किया ये बनारस की रहने वाली थी जिनका विवाह ग्वालियर के राजा गंगाधर राव से हुआ था। ग्वालियर की राजधानी उस समय झांसी थी।


* पटना से विद्रोह पुस्तक विक्रेता पीर अली ने किया था। 


* आरा के जगदीशपुर के जमींदार वीरकुंवर सिंह ने विद्रोह किया। इन्होंने लीग्रांड को 23 अप्रैल, 1858 को पराजित कर दिया। किन्तु कुंवर सिंह के हाथ में गोली लग गई थी जिस कारण उन्होंने अपना हाथ स्वयं काट कर गिरा दिया, जिस कारण कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई। कुंवर सिंह के भाई को गोरखपुर जेल में डाल दिया गया जहां उनकी भी मृत्यु हो गई। बिहार सरकार 23 अप्रैल को वियज दिवस के रूप में मनाती है। 

विद्रोह दबाने वाले अंग्रेजी सेनापति :- 

(i) दिल्ली (बहादुर शाह द्वितीय) :- निकलसन तथा हडसन 

(ii) लखनऊ (हजरत महल) :- कैम्पवेल

(iii) कानपुर (नाना साहब) :- कैम्पवेल 

(iv) झांसी (मनुबाई) :- ह्युरोज 

(v) इलाहाबाद (लियाकत अली) :- कर्नल नील 

(vi) जगदीशपुर (कुंवर सिंह) :- लीग्रांड 


Remark :- कर्नल नील, लारेंस तथा हैबलक विद्रोह दबाते समय मारे गए थे। 1859 में जब तात्याटोपे पकड़े गए तो विद्रोह को पूर्णतः समाप्त समझा जाने लगा।

1857 के विद्रोह के असफलता का कारण :-

(i) हथियार की कमी,

(ii) संगठन का अभाव,

(iii) नेतृत्व की कमी,

(iv) राजपुत तथा सिंधिया ने अंग्रेजों का साथ

(v) शिक्षित लोग तटस्थ (Neutral) रहे 

(vi) बहादुर शाह की पत्नी जिनत महल ने सभी गोपनिय सुचनाएं अंग्रेजों को दे दी और अंग्रेजों ने हुमायुं के मकबरे के समीप बहादुर शाह जफर को पकड़ लिया और उसे रंगुन भेज दिया जहाँ 1862 में उसकी मृत्यु हो गई। 

(vii) विद्रोहियों में देश प्रेम की भावना नहीं बल्कि आपसी स्वार्थ था। E.G :-

(a) बेगम हजरत महल से अवध छिना गया।

(b) नाना साहब का पेंशन रोका गया।

(c) झांसी की रानी के दत्तक पुत्र को राजा नहीं बनाया गया।

(d) कुंवर सिंह से जमिंदारी छिन ली गई। 


* विद्रोह के दौरान इलाहाबाद को अंग्रेजों ने आपातकालीन केन्द्र बनाया था। जब विद्रोह समाप्त हुआ तो इंगलैण्ड की महारानी ने अपना घोषणा पत्र लार्ड कैनिंग को भेजा। लॉर्ड कैनिंग ने इसे 1858 में इलाहाबाद में पढ़कर सुनाया। इस घोषणा के अनुसार इस्ट इंडिया कम्पनी को समाप्त कर दिया गया और भारत का शासन इंगलैण्ड की महारानी को दे दिया गया। ब्रिटेन ने यह वादा किया की वह नया क्षेत्र पर कब्जा नहीं करेगा। विद्रोह के समय इंगलैण्ड के प्रधानमंत्री पामअस्टरलीन थे तथा भारत का गर्वनर जनरल लॉर्ड कैनिंग था। विद्रोह समाप्ति के बाद पिल आयोग के सिफारिस पर सेना का पुर्नरगठन किया गया और सेना में राजपुत तथा ब्राह्मणों की संख्या घटा दी गई। जबकि नेपाली तथा पठान की संख्या बढ़ा दी गयी।




एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ