पर्नजागरण से जुड़े रोचक तथ्‍य और जानकारियां || Khan Sir History PDF Notes


पुनर्जागरण


पर्नजागरण


* पुनर्जागरण का अर्थ होता है किसी पुरानी व्यवस्था को छोड़कर नई रिति रिवाज अपना लेना। 


* पुनर्जागरण शब्द फ्रांसिस भाषा के रेनेसा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है दुबारा जाग उठना। 


* पुनर्जागरण की शुरुआत इटली के शहर फ्लोरेंस से हुआ। 


* पुनर्जागरण की शुरुआत कवि दांते ने किया। उनकी पुस्तक डिवाइन कमेटी में स्वर्ग एवं नर्क के काल्पनिक वर्णन किया गया है


* पुनर्जागरण इटली से ही प्रारम्भ हुआ क्योंकि इटली मध्य में पड़ता था जिस कारण उसे व्यापारिक लाभ हुआ। अतः वहां के लोग धनी हो गए और उनका विज्ञान तथा कला के क्षेत्र में अत्यधिक विकास हुआ। 


कुस्तुन्तुनिया पर तुर्की का अधिकार 


* कुस्तुन्तुनिया वेजेण्टाइन समाज की राजधानी थी जो इसाइयों का एक प्रमुख केन्द्र था। 


* कुस्तुन्तुनिया पर मुस्लिम राष्ट्र तुर्की ने अधिकार कर लिया। अतः कुस्तुन्तुनिया के विद्वान लोग अपनी कला संस्कृति विज्ञान इत्यादि को बचाने के लिए इटली में ही शरण लिय। जिससे इटली के लोगों का नये विचारों से परिचय हुआ। 


यूरोप में पुर्नजागरण का कारण:


(1) मुस्लिम तथा इसाइयों के बीच धर्म युद्ध हो गया जिसमें इसाई पराजित हो गये। अत: वे शरण लेने के लिए नई-नई जगहों की खोज करने लगे। जिनसे उनके विचारों में सुधार आया और उन्हें नए विचार मिले। 


(2) कुस्तुन्तुनिया पर तुर्की का अधिकार होने के कारण यूरोपिय लोग शरण लेने के लिए नये-नये जगहों की खोज करने लगे। 


(3) यूरोप में कई वैज्ञानिक उपकरण तैयार किये गये। दिशा सूचक कम्पास। 


(4) यूरोप में छपायीखाना (Printing Press) की खोज हो गयी जिससे विचारों को फैलाने में आसानी हुयीं 


पुनर्जागरण की विशेषता:-


(1) लोग धार्मिक विषयों के स्थान पर विज्ञान दर्शन भूगोल जैसे विषयों को पढ़ने पर ध्यान दिए। 


(2) लोग परलोकवाद तथा मोक्ष प्राप्ति के स्थान पर सामाजिक मुद्दे पर अधिक ध्यान देने लगे। 


(3) अंधविश्वास तथा रुढीवाद से लोगों का विश्वास उठ गया। 


(4) पुनर्जागरण के बाद लोग किसी के विचारों पर तर्क वितर्क करते थे। 


साहित्य के क्षेत्र में पुनर्जागरण:-


* दांते में 'डिवाइन कमेडी' नामक पुस्तक लिखी। 


* पेट्रार्क ने कैवेलियर ‘टेलर्स' नामक पुस्तक लिखी।


* मैक्यावेली ने 'द प्रिंस तथा आर्ट आफ वार' नामक पुस्तक लिखी।


* सेक्सपियर ने 'मर्चेन्ट ऑफ वेनिसा' जैसी पुस्तक लिखा।


* बुकेशिये ने 'डेकामेरान' की कहानी लिखा। 


स्थापत्य कला के क्षेत्र में पुनर्जागरण:- 


सेन्ट पिटर गिरजा घर (रोम), सेट पॉल गिरजा घर (लंदन) सेन्ट मार्क गिरजा घर (वेनिस) जैसे गिरजा घरों का निर्माण पुनर्जागरण के समय हुआ। 


चित्रकला के क्षेत्र में पुनर्जागरण:


* राफेल ने 'मेडोना' नामक चित्रकारी बनायी तथा


* लिनियाडो-डी विंची ने 'मोना लिसा' तथा 'द लास्ट सपर' नामक चित्रकारी बनायी। 


विज्ञान के क्षेत्र में पुनर्जागरण: 


* टाल्मी के विचार के अनुसार सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगाता है किन्तु पुनर्जारण के बाद इसके विचारों को काट दिया गया। 


(1) कापरनिकस (Poland) – इन्होंने बताया कि सूर्य स्थिर पृथ्वी चक्कर लगाती है।


(2) कैप्लर (जर्मनी) – इन्होंने ग्रहों के गति सम्बन्धी नियम दिया।


(3) न्यूटन (जर्मनी) - इन्होंने गुरुत्वाकर्षण का नियम दिया।


(4) गैलिलिया (इटली) - इन्होंने दूरविन बनाया। 


(5) मार्कोपोलो (इटली) – इन्होंने कुतुबनुमा (दिशा सूचक, कम्पास) बनाया। 


(6) रोजर मेकर (England) – इन्होंने सूक्ष्मदर्शी बनाया। 


पुनर्जागरण का प्रभाव:- 


* पुनर्जागरण के बाद मान्यता में कमी आयी। 


* लोग नये जगहों की खोज करने लगे। जिस कारण नये-नये उपनिवेश बनने लगे।


* इस्लाम धर्म पिछड़ने लगा और इसाई धर्म आगे बढ़ने लगा। 


धर्म सुधारः- 




* पुनर्जागरण के बाद धर्म सुधार आन्दोलन प्रारम्भ हो गया।


* धर्म सुधार आन्दोलन का कोई तात्कालिक कारण नहीं था।


* धर्म सुधार आन्दोलन इसाई धर्म में मौजूद बुराईयों के विरुद्ध एक आन्दोलन था। 


* इसाई धर्म में कैथेलिक पोप के विरुद्ध सर्वप्रथम जर्मन के निवासी मार्टिन लूथर किंग ने आवाज उठाया और 1530 ई. में प्रोटेस्टेन्ट नामक एक इसाई धर्म की एक नयी शाखा बना दी। 


* मार्टिन लूथर किंग के कारण ही धर्म सुचारू आन्दोलन सफल रहा। 


धर्म सुधार आंदोलन के प्रभावः-


(1) चर्च के प्रभाव में कमी आयी। 

(2) कैथेलिक धर्म को मानने वालों में कमी आयी।

(3) पोप की शक्ति में कमी आयी। 

(4) राजा की शक्ति में वृद्धि हुई।

(5) चर्च की बुराई में कमी आयी। 

(6) प्रोस्टेन्ट धर्म का उदय हुआ।


औद्योगिक क्रान्ति 


* औद्योगिक क्रान्ति की शुरुआत 18वीं सदी में इंग्लैण्ड में हुयी। औद्योगिक क्रांति में उत्पादन के संसाधन में अत्यधिक वृद्धि हुयी। जिससे नए-नए उद्योग धंधे लगने लगे। 


इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के कारण:-



(1) इंग्लैण्ड के उपनिवेश अधिक थे। जहां से इंग्लैण्ड को लोहा, कोयला इत्यादि आसानी से मिल जाता था। 


(2) इंग्लैण्ड अपने उपनिवेश से ही कच्चा माल प्राप्त कर लेता था। 


(3) इंग्लैण्ड के वैज्ञानिकों ने कई आविष्कार किये जिससे की उद्योग बढ़ा। जैसे-फ्लाईंग, शटल, स्पीन, जैनी नामक यंत्र ने सूत काटना (धागा बनाने) का कार्य आसान कर दिया। 


(4) इंग्लैण्ड किसी भी युद्ध में उतना ही पड़ता था जिससे कि उसका व्यापारिक हित मिल सके।


(5) इंग्लैण्ड के पूंजीपतियों के पास धन की कमी नहीं थी, जिस कारण उद्योग बढ़ते गये। 


(6) इंग्लैण्ड को बाजार के रूप में एवं इसके अपने ही अनिवेश थे। 


* उपरोक्त कारणों से ही इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति हुयी। उस समय इंग्लैण्ड को विश्व का उद्योग शाखा कहा जाता था।


औद्योगिक क्रान्ति के प्रभाव:


(1) कच्चा माल सस्ता श्रम तथा बाजार के लिए यूरोपिय देशों में नए-नए उपनिवेश बनाने की र्होड़ लग गयी। 


(2) कृषि प्रणाली में अत्यधिक परिवर्तन हुआ। 


(3) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि हुयी। 


(4) नए-नए यंत्र बनाने की होड़ लग गयी।


औद्योगिक क्रान्ति के दौरान बने यंत्र :- 


* सुत काटने के लिए फलाइग एटल स्फेन जैनी, बाहर क्रेन तथा म्यूल जैसे यन्त्र की खोज हुयी। 


* इसी क्रान्ति के दौरान स्टीमर, रेल इंजन तथ सिलाई मशील की खोज हुयी।


औद्योगिक क्रान्ति के लाभः

(1) समाज का नैतिक पतन हुआ। 

(2) छोटे किसानों का अन्त हो गया। 

(3) गृह व्यवसायी (कुटीर उद्योग) का अन्त हो गया। 

(4) समाज दो वर्गों में बंट गया


(i) पूंजीपति तथा 

(ii) श्रमिक 


औद्योगिक क्रान्ति का प्रसार:-


* औद्योगिक कृषि का विस्तार जर्मनी, फ्रांस, इटली, U.S.A. होते हुए पूरे विश्व में फैल गया।  


* औद्योगिक क्रान्ति से सर्वाधिक लाभ कपड़ा उद्योग को हुआ।


* औद्योगिक क्रान्ति में इंग्लैण्ड का प्रतिद्वद्वि जर्मनी था। जिस कारण इंग्लैण्ड तथा जर्मनी में हमेशा विवाद होता रहता था और यही विवाद प्रथम विश्व युद्ध का रूप ले लिया। 


इंग्लैण्ड की क्रान्ति (1688):- 

* इंग्लैण्ड की क्रान्ति को शांतीपूर्ण क्रान्ति, गौरवपूर्ण क्रांति, रक्तहीन क्रान्ति तथा glorious क्रान्ति के नाम से जानते हैं, क्योंकि इंग्लैण्ड की क्रान्ति में रक्त का एक बुंद भी नहीं बहा था। 


* 11वीं सदी में राजा हेनरी-I ने सलाहकारों का एक परिषद (मंत्री परिषद) का गठन किया। जिसे क्यूरिया रेजिस कहा गया। 


* 1215 ई. में राजा जॉन के नितियों से असन्तुष्ट होकर सामन्तों ने (वैरम) एक घोषणा पत्र (मैग्नाकार्टा) तैयार किया और उसे राजा जॉन से जबरदस्ती स्वीकार करा लिया। इस घोषणा पत्र के अनुसार राजा को शलाहकार परिषद के अनुसार ही कार्य करना था। 


* 1485 से लेकर 1603 तक ट्यूडर वंश का शासन रहा। इस वंश का शासक अत्यन्त निरंकुश थे। इस वंश के शासकों ने जनता का दमन किया। जिस कारण जनता मैग्नाकार्टा को भूल गयी। 


* 1603 से 1714 ई. तक स्टुअर्ट वंश का शासन रहा। इस वंश के पहले शासक जेम्स-I (1603-1625) के समय राजा एवं संसद के बीच विवाद होने लगा क्योंकि इस अवधी में पुनर्जागरण हो चुका था। 


* जनता तथा राजा के बीच विद्रोह बढ़ता गया। जनता राजा के निरंकुशता को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी। 


* जेम्स-I के बाद उसका पुत्र चार्ल्स-I राजा बना (1625-1649) 


* चार्ल्स-I के समय जनता खुल के विद्रोह करने लगी क्योकि चार्ल्स-I नया-नया कर लगाता था।


* जनता तथा राजा के बीच का विद्रोह गृह विद्रोह का रूप लेने लगा। 


* इंग्लैण्ड के इस गृह युद्ध में दो गुट बन गये


(1) पादरी जमींदार तथा राजा एक गुट में थे जिन्हें कैवेलियर कहा जाता था। 


(2) जनता व्यापारी तथा संसद एक गुट में थे जिन्हें round Head कहा जाता था। 


* जनता का नेतृत्व क्रामवेल कर रहा था और इस गृह युद्ध में जनता ने चार्ल्स-I को पकड़कर 30 जनवरी, 1649 को फांसी दे दिया।


* प्रारम्भ में क्रामवेल संसद के अनुसार कार्य कर रहा था किन्तु धिरे-धिरे क्रामवेल भी निरंकुश होने लगा। फलस्वरूप जनता शिघ्र ही क्रामवेल के शासन से उब गयी। 


* क्रामवेल प्युरितल धर्म को मानता था और वह जनता पर जबरदस्ती इस धर्म को थोपने लगा। अतः जनता क्रामवेल को हटाकर चार्ल्स-II को राजा बना दिया। 


* चार्ल्स-II प्रारम्भ में अच्छे से शासन करता था किन्तु वह भी धिरे-धिरे निरंकुश होने लगा। चार्ल्स-II के मृत्यु के बाद जेम्स-II राजा बना। जेम्स-II के शासक बनते ही निरंकुश हो गया और वह अपने विद्रोहीयों का दमन करने लगा।


* इंग्लैण्ड की संसद ने हॉलैण्ड के राजकुमार विलियम ऑफ आरेन्ज तथा जेम्स की पुत्री मेरी को संयुक्त रूप से England का शासक नियुक्त कर दिया। 


* हालैण्ड का राजकुमार William of orange अपने 15000 सैनिकों के साथ इंग्लैंड में प्रवेश करने पर इंग्लैंड की जनता उनका स्वागत किया। 


* जेम्स-II William of orange के डर से England छोड़कर भाग गया। इस प्रकार 1688 ई. में बिना रक्त  हाए ही England की क्रान्ति सफल हो गयी। 


इंग्लैण्ड की क्रान्ति का प्रभावः


(1) राजा तथा संसद के बिच के विवाद को समाप्त किया गया।


(2) राजा को औपचारिक प्रधान बनाया गया। 


(3) राजा तथा संसद की अधिकारों को निर्धारित किया गया।


अधिकार घोषणा पत्र (1689):


* इस घोषणा पत्र के अनुसार राजा संसद के बिना अनुमति ना कोई कानून बना सकता है ना हि पुराने कानून को समाप्त कर सकता है। राजा बिना संसद के अनुमति कोई नया कर नहीं लगा सकता। 


* वित्त तथा सेना संसद के नियन्त्रण में होगी। 


Note:- England की क्रान्ति विश्व की पहली राजनीतिक क्रान्ति थी। 


Note:- England की क्रान्ति का मुख्य कारण राजा तथा संसद के बीच सत्ता प्राप्त करने का संघर्ष था।


अमेरिका की क्रान्ति

अमेरिका की क्रान्ति 


* अमेरिका की क्रान्ति का मुख्य कारण इंग्लैण्ड द्वारा उसका शोषण करना था। 


* इंग्लैण्ड ने अमेरिका को अपना उपनिवेश बनाया था।


* इंग्लैण्ड ऐसा ही कानून बनाता था जिससे उसे लाभ हो तथा अमेरिका को हानि हो।


* इसी तहत दो घटना थी- 


(i) स्टाम्प एक्ट तथा 

(ii) बोस्टन चाय पार्टी 


स्टाप्त एक्ट:-

* इसे U.S.A. ने अस्वीकार कर दिया क्योंकि Parliament (संसद) में U.S.A. का कोई प्रतिनिधि नहीं थे। अतः उन्होंने कहा कि “प्रतिनिधि नहीं तो कर नहीं" To tax without Tax Representative


बोस्टन चाय पार्टी (16 दिसम्बर, 1773):-


* इंग्लैण्ड ने अमेरिका भेजे जाने वाले चाय पर अत्यधिक कर लगाया था। जब चाय से भरा जहाज U.S.A. के बोस्टन बन्दरगाह पर पहुँचा तो अमेरीका के लोगों ने सैमुअल एडम्स के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया और चाय से भरे बोरियों को समुद्र में फेंक दिया, जिस कारण इंग्लैण्ड की सेना ने उन पर गोली चला दिया। इस हत्या को बोस्टन चाय पार्टी की घटना कहते हैं। 


* अमेरीकी स्वतंत्रता का संदेश तथा राष्ट्र प्रेम की भावना को जैफर सन, जॉन लोक, जॉन मिलन, थामस येन जैसे प्रमुख कवियों ने फैला दिये। 


* 04 जुलाई 1776 को अमेरिका ने खुद को स्वतन्त्र घोषित कर लिया और आन्दोलन प्रारंभ कर दिया।


* अमेरिकी सेना का नेतृत्व जार्ज वाशिंगटन कर रहा था। यह युद्ध 1783 तक चला। 


* इस युद्ध की समाप्ती 1783 के पेरिस समाझौते के तहत समाप्त हुआ। 


* इस समझौते के तहत इंग्लैण्ड ने अमेरिका को स्वतंत्र घोषित कर दिया। 

Remark:- अमेरिका ने स्वयं को 04 जुलाई, 1770 को स्वतंत्र घोषित किया था। किन्तु इंग्लैण्ड ने उसे 1783 में स्वतन्त्रता दिया। 


* अमेरीका का स्वतन्त्रता दिवस 04 जुलाई, को मनाया जाता है। 


* अमेरिका का संविधान 1789 को बनकर तैयार हुआ।


* अमेरिका के क्रान्ति से प्रभावित होकर 1789 में फ्रांस की क्रान्ति की शुरुआत हो गयी। 


* अमेरिका का प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वाशिंग्टन को बनाया गया स्वतन्त्रता के बाद अमेरिका में दो प्रमुख समस्या थी


(i) रंगभेद एवं

(ii) दास प्रथा


* अमेरिका में काले तथा गोरे लोगों के बीच रंगभेद की लड़ाई थी। इस रंगभेद को समाप्त करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मार्टिन लूथर किंग जूनीयर ने निभाया। 


* इन्हें ब्लैक गांधी काला गांधी कहा जाता है। 


* अमेरिका में दासों की खरीद बिक्री होती थी। अब्राहम लिंकन ने दास प्रथा का उन्मूलन कर दिया और उन्होंने लोकतंत्र का सिद्धान्त दिया और कहा कि-"जनता की सरकार जनता के द्वारा तथा जनता के लिए होती है। यही लोकतंत्र है। Government of the people by the people for the people”.


फ्रांस की क्रान्ति 


* फ्रांस की क्रन्ति की प्रेरणा U.S.A. की क्रान्ति से मिली। 


* फ्रांस का राजा निरंकुश था और वह फिजूल खर्च अत्यधिक करता था। 


* राजा जनता पर नये-नये कर लगाने लगा, जिससे जनता विद्रोह कर दी। 


* फ्रांस का राजा इतना निरंकुश था कि एक बार जब राजा लूई 16वीं तथा उनकी पत्नी अन्त्वानेत जब रथ यात्रा पर निकले तो भूखी जनता रोटी-रोटी कहकर भीख मांग रही थी तो रानी ने कहा कि रोटी के स्थान पर ब्रेड खा लो। 


* राजा के इस व्यवहार से जनता विद्रोह करने लगी। राजा ने विद्रोहियों को पकड़कर वास्टिल नामक जेल में डाल दिया।


* फ्रांस की जनता का विद्रोह उग्र होता गया और यह विद्रोह रक्तपात का रूप ले लिया। इस रक्तपात की शुरुआत 14 जुलाई 1789 को वास्टिल दुर्ग (जेल) के पतन से प्रारम्भ हुयी और 18 जून, 1815 के वाटरलू के युद्ध में जाकर समाप्त हुयी। 


Note:- वाटर लू का मैदान बेल्जियम में है इसी कारण वेल्जियम को यूरोप का अखाड़ा कहते हैं।


फ्रांस की क्रान्ति के कारण :-


(1) राजा का निरंकुश होना। 

(2) असमान तथा अनिश्चित कानून। 

(3) पादरी तथा सामन्त को कर से मुक्त रखना।

(4) राजमहल में धन को पानी की तरह बहाना। 

(5) इंग्लैण्ड के साथ लगातार युद्ध होना।

(6) सद में जनता का बात न सूना जाना। 


* फ्रांस की समाज तीन भागों में बटा था


(i) पादरी वर्ग, 

(ii) कुलीन वर्ग एवं 

(iii) जनसाधारण वर्ग


* फ्रांस की संसद को स्टेट जनरल कहा जाता था-State General में तीन सदन थे 


(1) एक सदन पादरी का जिसमें कुल 308 सदस्य थे। 


(2) दूसरा सदन कुलिन वर्ग का था जिसमें 285 सदस्य थे।


(3) तीसरा सदन समान्य जनता का था जिसमें 621 सदस्य थे।


* जनता का सदन स्टेट जनरल में बायीं तरफ था और वे लोग सरकार का विरोध करते रहते थे। अतः तब से यह परम्परा प्रारम्भ हो गयी कि जो दल सरकार का विरोध करती है उसे Left या वामदल कहते हैं। 


* 1789 में राजा ने एक नया कर लाया जो सिर्फ साधारण जनता पर लगाने का प्रस्ताव था। अतः तृतीय सदन (जनसाधारण) ने इस कर का विरोध किया। जिस कारण राजा लुई-16 ने तृतीय सदन को भंग कर दिया। 


टेनिस कोर्ट Oath (शपथ) - जैसे ही राजा ने तृतीय सदन को भंग किया तो तृतीय सदन के लोगों ने टेनिस कोर्ट के मैदान में आकर शपथ लिया कि वे राजा लुई-16 के शसन का अंत कर देंगे। 


वास्टिल दुर्ग का पतन:- 

* राजा अपने विद्राहियों को वाटिल दुर्ग नामक जेल में डाल दिया। जनता ने वास्टिल दुर्ग को 14 जुलाई, 1789 को नष्ट कर दिया और कैदियों को स्वतन्त्र कर दिया। 


Note:- 14 जुलाई को फ्रांस का राष्ट्रीय पर्व मनाया जाता है।


चुडैलों का धावा:-


* 05 अक्टूबर, 1789 को पेरिस की 10000 महिलाएं ने पेरिस के वर्साय के महल की ओर कूच की। इसी घटना को चुडैलों का धावा कहते हैं। 


* फ्रांस की क्रान्ति में पूरे क्रान्तिकारी दो भागों में बंटे थे


(i) जैकोबियन - यह बहुसंख्यक थे तथा हिंसक थे।


(ii) जिरोदिस्त - यह अल्पसंख्यक थे तथा अहिंसक थे। 


* फ्रांस की क्रान्ति का नारा था - समानता स्वतन्त्रता तथा बन्धुता।


* फ्रांस की क्रान्ति की रुसो मोण्टेस्क्यू तथा वाल्टेयर नामक दार्शनिक ने बढ़ावा दिया।


इटली का एकीकरण:-


* इटली का एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा आस्ट्रिया थी। वह इटली का एकीकरण नहीं होने देना चाहता था। 


* इटली 13 खण्डों में बंटा था। 


* इटली के एकीकरण में सबसे पहले सर्डीनिया राज्य आगे आया। 


* इटली के एकीकरण का जनक जोसफ मेजनी को माना जाता है। 


* जोसेफ मेजनी ने कहा था कि समाज में क्रान्ति लानी है तो शासन युवाओं को सौंप दी।


* काउण्ट डी. कैवोर ने 1854 ई. में क्रिमिया युद्ध में भाग ले लिया और इटली की समस्या का अंतर्राष्ट्रीकरण कर दिया। इन्हीं के प्रयासों से 1871 ई. में इटली का एकीकरण पूरा हुआ। काउण्ट डी. कैवोर को इटली का विस्मार्क कहा जाता है। 


* गैरी वाल्डी को इटली के एकीकरण का तलवार कहा जाता है। इसे एक विशेष प्रकार की सेना का गठन किया था, जिसे लाल कुर्ति सेना कहा गया। 


Note:- Florence नाइटिंगल का सम्बन्ध क्रिमिया युद्ध से है। फ्लोरेंस नाईटिंगल को Lady with the lamp कहा जाता था।


जर्मनी का एकीकरण:-


* जर्मनी का एकीकरण का संदेशवाहक नेपोलियन को माना जाता है। इसी ने जर्मनी में राष्ट्रीयता की नींव रखी। जबकि फ्रांस जर्मनी के राइन लैण्ड पर अधिकार किये हुए था। अतः फ्रांस जर्मनी का एकीकरण नहीं होने देना चाहता था। 


* जर्मनी का एकीकरण विस्मार्क ने किया जो फ्रांस के शासक विलियम का प्रधानमंत्री था। 


Note:- पृशा ने विश्व में सबसे पहले शिक्षा को अनिवार्य बना दिया।

* 1848 ई. में जर्मनी में संविधान का निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन हुआ।


* जर्मनी के संविधान को विमर संविधान कहते हैं। 


* जर्मनी के शासक को चांसलर कहा जाता है।


* जर्मनी के एकीकरण के दौरान आस्ट्रिया तथा पृशा के बीच 1886 में युद्ध हुआ इस युद्ध में आस्ट्रिया पराजित हो गया और आस्ट्रिया को जर्मनी का अंग बना लिया गया। 


* पृशा तथा फ्रांस के बीच एकीकरण के लिए 1870 ई. में युद्ध हुआ। इस युद्ध में फ्रांस की पराजय हुयी। इस युद्ध के बाद 1871 ई. में फ्रैंकफॉर्ट की संधी द्वारा जर्मनी का एकीकरण सम्पन्न हो गया। 


* विस्मार्क ने जर्मनी का एकीकरण करने के बाद वहां के शासक (चांसलर) का राज्याभिषेक पेरिस के वायसराय के महल में किया। 


रुस की क्रान्तिः-


* रुस की क्रान्ति दो चरणों में हुयी।


* 1904-05 के युद्ध में जब रुस जापान से हार गया तो रुस की अर्थव्यवस्था पूरी तरह प्रभावित हुयी। 


* रुस के शासक को जार कहा जाता था। 


* जार निरंकुश था। 22 जनवरी, 1905 को मजदुरों का एक संघ राजमहल के सामने अपनी समस्या को लेकर पहुंचा। जिसपर राजा ने गोली चला दी। इस घटना को खुनी रविवार कहा जाता है।


* रुस की क्रान्ति को वालसेविक क्रान्ति के नाम से भी जानते हैं।रुस की क्रान्ति एक साम्यवादी क्रांति थी।


* रुस की क्रान्ति का सबसे बड़ा नायक लेनिन तथा त्रोत्सकी था। रुस की क्रान्ति को कार्लमार्क्स ने भी समर्थन दिया।


* लेनिन ने चेको सेना का गठन किया जबकि त्रोत्सकी ने लाल सेना का गठन किया। 


* त्रोत्सकी रुस में अस्थायी प्रगति का समर्थक था। 


* लेनिन के नेतृत्व में मजदुरों को एक संघ का निर्माण किया गया। इस संघ को सोवियत संघ नाम दिया गया। 


* लेनिन रुस के साही व्यवस्था (जार व्यवस्था) का कट्टर विरोधी था। उसने क्रान्ति के माध्यम से रुस के जार निकेलस-II के सत्ता का अन्त कर दिया। लेनिन की मृत्यु 21 जनवरी, 1924 को हो गई, हालांकि रूस की क्रांति 1917 में ही सफल हो गयी।


* आधुनिक रुस का निर्माता स्टालिन को बोला जाता है।




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