इतिहास
👉 गुप्त शासक वैश्य थे (विष्णु उपासक)।
👉 ऐसा माना जाता है कि ये कुबाण शासकों के सामंत थे।
👉 इन्होंने बिहार के स्थान पर उत्तरप्रदेश को अधिक वरीयता दिया।
👉 इन्होंने अपनी राजधानी उत्तरप्रदेश के कौशाम्बी को बनाया
👉 इस वंश के संस्थापक श्री गुप्त थे।
👉 इस वंश का अगला शासक घटोत्कच था।
👉 इन दोनों शासकों ने सामंत के रूप में ही शासन किया । अतः इन्हें वास्तविक संस्थापक नहीं माना जाता है।
👉 इस वंश का वास्तविक संस्थापक चंद्रगुप्त-I थे। इन्होंने लिच्छवी राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया और इस उपलक्ष्य में उसने "राजा-रानी" प्रकार का सिक्का चलाया।
"समुद्रगुप्त"
👉 यह कुमार देवी का पुत्र था। अतः यह खुद को लिच्छवी दौहित्र (लिच्छवी का नाती) कहता था।
👉 इसके बचपन का नाम कांच था।
👉 समुद्रगुप्त की नीतियाँ आक्रामक तथा विस्तार वादी थीं । अतः यह अशोक के विपरीत था।
👉 इसने आर्यावर्त (उत्तर - भारत) के व राज्यों को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया।
👉 जबकि दक्षिणावर्त (दक्षिण भारत) के 12 राज्यों को पराजित कर दिया और उनसे Tax (कर) वसूलता रहा।
👉 इन्हीं विजय अभियान के कारण समुद्रगुप्त को "धरणी बंध" कहा जाता है।
👉 इतिहासकार "B.S. SMITH" ने समुद्रगुप्त की तुलना "नेपोलियन" से की है।
👉 पुराण में कहा गया है कि समुद्रगुप्त का घोड़ा 3 समुद्र का पानी पीता था, अर्थात् समस्त दक्षिण भारत समुद्र गुप्त के सामने नत-मस्तक था।
👉 श्रीलंका के शासक ने बौद्ध गया में मंदिर बनवाने के लिए अपना एक दूत समुद्रगुप्त के दरबार में भेजा।
👉 समुद्रगुप्त ने उसे मंदिर बनवाने की अनुमति दे दीया।
👉 समुद्रगुप्त के विजय अभियान की जानकारी "प्रयाग प्रशस्ती" अभिलेख से मिलती है।
👉 यह अभिलेख समुद्रगुप्त के दरबारी कवि तथा महासंघ विग्राहक (युद्ध एवं शांति का दूत) हरिसेन का है।
👉 समुद्र गुप्त ने क ष्णचरित्र पुस्तक की रचना की जिस कारण इसे कविराज कहा जाता है।
👉 इसे सिक्कों पर वीणा बजाते हुए तथा सैनिक 'वैश-भूषा'' में दिखाया गया है।
👉 समुद्रगुप्त के समय सबसे अधिक प्रचलित सिक्का मयूर शैली का सिक्का था।
👉 समुद्रगुप्त के बाद रामगुप्त शासक बना ।
👉 यह एक अयोग्य शासक था ।
👉 इसकी पत्नी का नाम देवी था।
👉 देवी ने रामगुप्त के छोटे भाई चंद्रगुप्त-II के साथ षड्यंत्र रच के खुद के पति रामगुप्त की हत्या करवा दी।
👉 इसकी जानकारी विशाखदत्त की पुस्तक देवी चंद्रगुप्तम् में मिलती है।
चंद्रगुप्त-II
👉 इसने शकों का अंत कर दिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की।
👉 विक्रमादित्य का अर्थ होता है, शूरवीर ।
👉 इतिहास में कुल 14 शासकों ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की है।
👉 इसने चाँदी के सिक्के चलाए। यह न्याय के लिए प्रसिद्ध था।
👉 इसके न्याय का सिंहासन पत्थर का बना था।
👉 इसके समय सर्वाधिक विस्तार हिन्दू धर्म का हुआ।
👉 इसके दरबार में संस्क त के 9 विद्वान रहते थे, जिन्हें "नवरत्न" कहा जाता था।
👉 नवरत्न में सबसे प्रमुख कालीदास, अमरदास, वराहमिहिर, धनवन्त्रि प्रसिद्ध थे।
👉 धन्वन्त्रि वैध थे।
👉 चंद्रगुप्त-II के दरबार में चीनी बौद्ध विद्वान फाह्यान भारत आया।
👉 इसका यात्रा विवरण "फो–क्यू-की' है।
👉 चंद्रगुप्त द्वितीय के बाद अगला शासक कुमार गुप्त बना। इसने महायान शाखा के शिक्षा के लिए नालंदा विश्वविद्यालय बनवाया।
👉 इसे महायान शाखा का "OXFORD" कहा जाता है।
👉 विश्व का पहला विश्वविद्यालय "तक्षशिला" विश्व विद्यालय था। इसकी स्थापना राजा तक्ष ने करवाई थी।
👉 यह वर्तमान पाकिस्तान में रावलपिंडी जिला में स्थित है।
👉 विश्व का पहला "HOSTEL" सुविधा देने वाला विश्वविद्यालय "नालंदा विश्वविद्यालय" था।
👉 1198 ई. में ऐबक का सेनापति बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करवा दिया ।
👉 कुमारगुप्त के बाद अगला शासक स्कंदगुप्त बना।
👉 स्कंदगुप्त ने सुदर्शन झील का पुननिर्माण करवाया।
👉 इसकी अलग से एक जूनागढ़ अभिलेख मिला है जिससे यह जानकारी मिलती है कि समुद्रगुप्त ने हुण्डों के आक्रमण को असफल कर दिया।
👉 इसके बाद गुप्तवंश में बहुत छोटे शासक हुए।
👉 भानू गुप्त के "एरण' अभिलेख से सती प्रथा की जानकारी मिलती है।
👉 इस वंश का अंतिम शासक विष्णुगुप्त था।
👉 इस वंश के विनाश का कारण हुण्डों का आक्रमण था।
👉 हुण्ड आक्रमण के बाद गुप्त वंश छोटे-छोटे सामंतो में बंट गया, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सामंत पुष्यभूति थे।
गुप्तकालीन प्रशासनिक व्यवस्था
👉 गुप्तकाल की भाषा संस्कृत थी।
👉 वर्तमान हिन्दु धर्म का स्वरूप गुप्तकाल की देन है।
👉 गुप्तकाल की राजधानी कौशाम्बी थी।
👉 इस समय अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा स्त्रोत भू-राजस्व था।
👉 यह 1/4 से लेकर 1/6 हो सकता था।
👉 भू-राजस्व को हख्य (नगद) या मेय (अनाज) के रूप में दिया जा सकता है।
👉 इस समय शासन की सबसे बड़ी इकाई देश होती थी। देश का सर्वोच्च राजा होता था, जो न्याय का भी सर्वोच्च था।
👉 शासन की सबसे छोटी इकाई गाँव थी, जो ग्रामीक के अधीन रहती थी।
👉 इस समय सबसे प्रमुख अधिकारी कुमार अमात्य था। जो वर्तमान (D.M.) के पद पर था।
👉 फाह्यान के अनुसार इस समय अस्प श्यता (छुआ-छूत) थी।
👉 निम्न जाति के लोगों को चांडाल या अंत्यज्ञ कहा जाता था।
👉 इस समय स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार था। वे देवदासी भी हो सकती थी।
👉 इस समय बाल-विवाह, पर्दा प्रथा तथा सती प्रथा का भी प्रचलन था।
👉 इस समय वेश्यावृत्ति भी थी।
👉 वेश्यावृत्ति में लिप्त महिलाओं को गणिका या कुट्टनी कहा जाता था।
👉 इस समय गणित तथा ज्योतिष का सर्वाधिक विकास हुआ।
👉 अजंता की गुफाओं का निर्माण गुप्तकाल में हुआ।
👉 महाराष्ट्र के इन गुफाओं की संख्या 29 है।
👉 16, 17 तथा 19 नंबर की गुफाएँ गुप्तकाल की हैं |
👉 अजंता बौद्ध, जैन तथा हिन्दू तीनों के लिए प्रसिद्ध है।
👉 गुप्तकाल में ही मध्यप्रदेश में बाघ की गुफाएँ बनाई गई।
👉 गुप्तकाल में ही अफगानिस्तान के बामियान में स्थित पर्वतों को काटकर महात्मा बुद्ध की विश्व में सबसे ऊँची प्रतिमा बनाई गई, किन्तु अफगानिस्तान के तालिबान आतंकवादियों ने इसे बम से उड़ा दिया।
"सुदर्शन झील
"हुण्ड"
* हुण्ड का क्षेत्र फारस (इरान से अफगानिस्तान तक) था।
* इनकी राजधानी अफगानिस्तान के बामियान में थी।
* तारामाण तथा मिहिरकुल दो प्रमुख हुण्ड आक्रमणकारी थे।
* मिहिरकुल बौद्ध विरोधी तथा मूर्तिभंजक (तोड़ने वाला) था।
* स्कंदगुप्त का जूनागढ़ स्थित अभिलेख से हुण्ड आक्रमण की जानकारी मिलती है।
* इसमें हुण्डों के लिए मलेच्छ शब्द का प्रयोग है।
पुष्यभूति वंश/वर्धन वंश
* इस वंश के संस्थापक पुष्यभूति वर्धन थे। जो गुप्तकाल में एक सामंत थे।
* इन्होंने अपनी राजधानी हरियाणा के थानेश्वर को बनाया ।
* इस वंश का अगला शासक प्रभाकर वर्धन थे।
* प्रभाकर वर्धन के 3 संतान थीं।
(i) राजवर्धन
(ii) हर्षवर्धन
(iii) राजश्री
* राजश्री का विवाह कन्नौज के राजा ग्रहवर्मन से हुआ।
* मालवा के शासक देवगुप्त ने ग्रहवर्मन की हत्या कर दी और राजश्री की हत्या करने का भी प्रयास किया। किन्तु राजश्री जंगल में भाग गई।
* राजवर्धन में देवगुप्त की हत्या कर दी।
* गौढ़ (बंगाल) शासक शशांक ने राजवर्धन की हत्या कर दीया। साथ ही इसने बौद्धी वृक्ष को भी कटवा दिया।
* वर्तमान बौद्धी वृक्ष छठी पीढ़ी का है।
* हर्षवर्धन ने शशांक की हत्या कर दी।
* हषवर्धन के सामने 2 चुनौती थी
(i) राजश्री का पता लगाना।
(ii) साम्राज्य को संभालना
* हर्षवर्धन ने दिवाकर नामक बौद्ध भिक्षुक के सहयोग से राजश्री का पता लगाया।
* हर्षवर्धन ने अपनी राजधानी कन्नौज को बनाया और अपने साम्राज्य को संभालने लगा।
* हर्षवर्धन ने कभी भी स्वयं को कन्नौज का राजा साबित नहीं किया बल्कि राजश्री का संरक्षक बनकर शासन किया।
* हर्षवर्धन साहित्य प्रेमी था। इसने 3 पुस्तकों की रचना की
(1) नागानंद।
(2) रत्नावली।
(3) प्रियदर्शिका।
* हर्षवर्धन के दरबारी कवि बाणभट्ट थे।
* इन्होंने 2 पुस्तकों की रचना की
(1) कादम्बरी
(2) हर्षचरित्र
* हर्षवर्धन को शिलादित्य कहा जाता है।
* इसके काल में चोर तथा डाकुओं का बोल-बाला था।
* इसके समय मथुरा सूती वस्त्र का केन्द्र था।
* इसके समय चीन का यात्री हवेनसांग भारत की यात्रा किया।
* 629 ई. में जब हवेनसांग आया था। नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति शीलभद्र थे।
* हवेनसांग को यात्रियों का राजकुमार नीति का पंडित तथा शाक्य मुनि कहा जाता है।
* इसने नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन (student) तथा अध्यापन (teacher) का कार्य किया।
* हवेनसांग की विद्वता को देखकर हर्षवर्धन ने प्रत्येक 5 वर्ष पर प्रयाग में होने वाले महामोक्ष परिषद् का अध्यक्ष हवेनसांग को बना दिया, जिस कारण ब्राह्मणों ने हर्षवर्धन का विरोधकिया ।
* हर्षवर्धन हिन्दू था किन्तु महायान शाखा से प्रभावित था।
* इसके समय कन्नौज में बहुत बड़े बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया गया।
* इसे 5वीं बौद्ध संगिती भी कहते हैं।
* हर्षवर्धन समस्त उत्तर भारत को जीत लिया था, किन्तु कश्मीर को अपने क्षेत्र में नहीं मिला पाया।
* हर्षवर्धन ने दक्षिण भारत अभियान प्रारंभ किया किन्तु नर्मदा नदी के तट पर दक्षिण भारत के चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय ने इसे पराजित कर दिया।
* इसकी जानकारी पुलकेशिन-II का कर्नाटक में स्थित "एहोर" अभिलेख से मिलती है।
* 647 ई. में हर्षवर्धन की म त्यु हो गई।
* हर्षवर्धन की कोई संतान नहीं थी, जिस कारण वर्धन वंश का पतन हो गया।
* हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद उत्तर भारत में राजनीतिक शून्य (सन्नाटा) की स्थिति आ गई।
* इतिहास में हर्षवर्धन के म त्यु को "युग परिवर्तन" का काल कहते हैं।
दक्षिण-भारत
संगम काल (100 ई.-250 ई.)
* 100 ई. से 250 ई. के मध्य दक्षिण भारत में पांड राजाओं के संरक्षण में कवियों के 3 विशाल सम्मेलन बुलाए गए। इन सम्मेलन को ही तमिल भाषा में संगम कहते हैं।
(1) प्रथम संगम
* यह दक्षिणी मदुरा में हुआ।
* इसकी अध्यक्षता अगस्त्य ऋषि ने की।
* इस सम्मेलन में 89 राजाओं ने भाग लिया।
* वर्तमान में दक्षिणी मदूरा जलमग्न हो गया है। जिस कारण इस संगम में लिखे गए साहित्य की कोई जानकारी नहीं है।
(2) द्वितीय संगम
* यह कपाटपूरम (अलैव) में हुआ।
* प्रारंभ में इसकी अध्यक्षता अगस्त्य ऋषि ने की किन्तु बाद में ''तोलकापियर" ने की।
* इसी सम्मेलन में "तोलकापियर" ने "तोलकापियम" नामक तमिल साहित्य की रचना की।
* इस संगम में 59 राजाओं ने हिस्सा लिया।
(3) तृतीय संगम :- यह उत्तरी मदूरा (मदुरै) में हुआ।
* इसकी अध्यक्षता "नक्कियर" ने किया।
* इसमें 49 राजाओं ने हिस्सा लिया।
* इस संगम में लिखे गए साहित्य का भी कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं मिला है।
नोट-(1) तीनों ही सम्मेलन तमिलनाडु में किए गए हैं।
नोट-(2) अगस्त्य ऋषि (काशी) बनारस के रहने वाले थे जो तमिलनाडु में बस गए।
* अगस्त्य ऋषि को तमिल साहित्य का जनक माना जाता है।
"संगम काल के राज्य"
* कृष्णा नदी के दक्षिण में अर्थात भारत के सुदूर दक्षिण में 3 राज्यों का उदय हुआ।
(1) चेर वंश
(2) पाण्ड वंश
(3) चोल वंश
* संगम राज्य के बारे में जानकारी "इण्डिका", "अष्टाध्यायी" तथा "ऐतरैय-ब्राह्मण' ग्रंथ से मिलती हैं।
चेर वंश
* संगम काल के वंशों में सबसे प्राचीन चेर था। जबकि चेर का अर्थ होता है- पर्वतीय देश।
* ऐतरैय ब्राह्मण ग्रंथ में इसे चेरापद कहा गया है।
* अशोक के द्वितीय शिलालेख में इसे केरलपुत्र कहा गया है।
* इनका क्षेत्र केरल (मालाबार) में था।
* इनकी राजधानी बंजी/करूर थी।
* इनका राज्य चिन्ह धनुष था ।
* चेर वंश का प्रथम शासक उदियन जरेल था।
* उदियन जरेल ने महाभारत युद्ध के सैनिकों को भोज करवाया था।
* अगला शासक शेनगुटवन था, इसे लाल-चेर भी कहते है।
* इसने पत्नि पूजा (कणगी पूजा) प्रारंभ किया। इस पूजा में उसने श्रीलंका तथा पड़ोस के राजाओं को भी आमंत्रित किया।
* इस वंश का अगला शासक आदीगमान था, जिसने गन्ने की खेती प्रारंभ की।
* चेर वंश का अंतिम शासक कुडक्कईल जरेल था।
* दूसरी सदी के अंत में (190 ई.) चेर वंश समाप्त हो गया।
पाण्ड वंश
* इसका अर्थ होता है- प्राचीन देश।
* यह मात सत्तात्मक था तथा मोतियो के लिए प्रसिद्ध था ।
* पांड राजाओं ने ही तीनों संगम का आयोजन किया था।
* पाण्ड वंश की प्रथम जानकारी मेगस्थनीज की पुस्तक 'इण्डिका' से मिलती है।
* पाण्ड वंश का क्षेत्र तमिलनाडु के दक्षिणी भाग में था।
* इनकी राजधानी मदुरै थी।
* इनका राजकीय चिह मछली (कार्प) था।
* पाण्ड वंश का प्रथम शासक नोडियोन था ।
* इसने समुद्र पूजा प्रारंभ की।
* इस वंश का सबसे प्रतापी शासक नेडूजेलियन था।
* इसने 290 ई. में हुए "तलैया लंगानम्” के युद्ध में चेर, चोल तथा 5 अन्य राजाओं को एक साथ पराजित कर दिया।
* इस वंश का अंतिम शासक नल्लि वकोडन था।
* 5वीं सदी आते-आते पाण्ड वंश अस्तित्व विहिन हो गया।
* पाण्ड वंश के राजाओं का रोम के राजा से अच्छा संबंध था। इन्होंने अपने दूत रोम के राजा आगस्टसा के दरबार में भेजा था।
* पाण्ड वंश की राजधानी मदुरै को त्योहारों का शहर कहते है।
* यहाँ का मिनाक्षी मंदिर विश्व-प्रसिद्ध हैं।
चोल वंश
* इसका अर्थ होता है नया देश ।
* इसके बारे में प्रथम जानकारी पाणिनी की रचना अष्टाध्यायी से मिलती है।
* चोल साम्राज्य तमिलनाडु के पूर्वी भाग में था।
* इसकी राजधानी "उरई-ऊर'' थी।
* इनका राजकीय चिहृ बाघ था।
* उरई-ऊर सूती वस्त्र के लिए विश्व में प्रसिद्ध था।
* ऐसा कहा जाता है कि इस समय के सूती वस्त्र साँप की केंचुली (पोआ) से भी पतले होते थे।
* चोल साम्राज्य कावेरी नदी के उपजाऊ मैदान में था।
* कहा जाता है, कि कावेरी नदी का मैदान इतना उपजाऊ था कि जितने क्षेत्र पर एक हाथी सोता था, उतने ही क्षेत्र पर इतना अनाज उगाया जा सकता है कि 1 वर्ष तक 7 लोगों का पेट भरा जा सकता है।
* चोल वंश का पहला शासक "उरवहप्पहरे" था।
* इस वंश का सबसे प्रतापी शासक करिकाल था। इसने श्रीलंका जीत लिया और वहाँ से 12,000 द्वारा लाया और कावेरी नदी पर 160 km लंबा बाँध बनवाया ।
* यह भारत का पहला बाँध था।
* इसे Grand बाँध कहते है।
* कारकाल ने पुहार नामक बंदरगाह बनवाया जिसे "कावेरी
पटनम्" कहते हैं।
* एलारा तथा पेरूनरकिल्ली अन्य शासक था।
* चोल वंश 5वीं सदी आते-आते अत्यंत कमजोर हो गया और सामंती जीवन जीने लगा।
* 8वीं सदी में पुनः चोलों का उदय हुआ।
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